ज़िन्दगी यूँ ही आगे निकल गयी ज़िन्दगी यूँ ही आगे निकल गयी
नई सुबह आई, कमल दल ने उम्मीद जगाई। नई सुबह आई, कमल दल ने उम्मीद जगाई।
जो इस अंधेरे में कहीं घूम रही हूँ मैं जो इस अंधेरे में कहीं घूम रही हूँ मैं
जिन्दगी को हम मुहब्बत बना दे। जिन्दगी को हम मुहब्बत बना दे।
मैं पहुँचने -पहुँचने में, कल- आज, आज -कल करता रहा। मैं पहुँचने -पहुँचने में, कल- आज, आज -कल करता रहा।
क्योंकि जो आज है वो क्या पता कल हो न हो। क्योंकि जो आज है वो क्या पता कल हो न हो।